Sunday, 20 January 2019

रंगचिन्तक मंजुल भारद्वाज का नाटक “राजगति” 23 जनवरी,2019,बुधवार रात 8 बजे “शिवाजी नाट्य मंदिर” में मंचित होगा!

थिएटर ऑफ़ रेलेवंसअभ्यासक एवम् शुभचिन्तक आयोजित नाटक राजगति” 23 जनवरी,2019,बुधवार रात 8 बजे शिवाजी नाट्य मंदिर दादर(पश्चिम), मुंबई में मंचित होगा! सुप्रसिद्ध रंग चिन्तक मंजुल भारद्वाज लिखित और निर्देशित नाटकराजगतिसमता,न्याय,मानवता और संवैधानिक व्यवस्था के निर्माण के लिएराजनैतिक परिदृश्यको बदलने की चेतना जगाता है,जिससे आत्महीनता के भाव को ध्वस्त करआत्मबलसे प्रेरितराजनैतिक नेतृत्वका निर्माण हो। 


कब : 23 जनवरी,2019,बुधवार रात 8 बजे 
कहाँ : शिवाजी नाट्य मंदिर”, दादर(पश्चिम), मुंबई 
कलाकार:अश्विनी नांदेडकर, योगिनी चौक, सायली पावसकर, कोमल खामकर, तुषार म्हस्के,स्वाति वाघ,हृषिकेश पाटिल,प्रियंका काम्बले,प्रसाद खामकर और सचिन गाडेकर।
अवधि :120 मिनट
नाटक 'राजगति', : “नाटक राजगतिसत्ता, व्यवस्था, राजनैतिक चरित्र और राजनीतिकी गति है. राजनीति को पवित्र नीति मानता है.राजनीति गंदी नहीं है के भ्रम को तोड़कर राजनीति में जन सहभागिता की अपील करता है. ‘मेरा राजनीति से क्या लेना देनाआम जन की इस अवधारणा को दिशा देता. आम जन लोकतन्त्र का प्रहरी है. प्रहरी है तो आम जन का सीधे सीधे राजनीति से सम्बन्ध है.समता,न्याय,मानवता और संवैधानिक व्यवस्था के निर्माण के लिएराजनैतिक परिदृश्यको बदलने की चेतना जगाता है,जिससे आत्महीनता के भाव को ध्वस्त करआत्मबलसे प्रेरितराजनैतिक नेतृत्वका निर्माण हो। 
नाटक राजगतिक्यों ?
हमारा जीवन हर पलराजनीतिसे प्रभावित और संचालित होता है पर एकसभ्यनागरिक होने के नाते हम केवल अपनेमत का दानकर अपनी राजनैतिक भूमिका से मुक्त हो जाते हैं और हर पलराजनीतिको कोसते हैं ...और अपनामानसबना बैठे हैं की राजनीतिगंदीहै ..कीचड़ है ...हम सभ्य हैंराजनीति हमारा कार्य नहीं है ... जब जनता ईमानदार हो तो उस देश की लोकतान्त्रिकराजनैतिकव्यवस्था कैसे भ्रष्ट हो सकती है ? .... आओ अब ज़रा सोचें की क्या बिनाराजनैतिकप्रकिया के विश्व का सबसे बड़ालोकतंत्रचल सकता है ... नहीं चल सकता ... और जबसभ्यनागरिक उसे नहीं चलायेंगें तो ... बूरे लोग सत्ता पर काबिज़ हो जायेगें ...और वही हो रहा है ... आओएक पल विचार करें ... की क्या वाकई राजनीतिगंदी है ..या हम उसमें सहभाग नहीं लेकर उसेगंदाबना रहे हैं हम सब अपेक्षा करते हैं कीगांधी , भगत सिंह , सावित्री और लक्ष्मी बाईइस देश में पैदा तो हों पर मेरे घर में नहीं ... आओ इस पर मनन करें औरराजनैतिक व्यवस्थाको शुद्ध और सार्थक बनाएं ! समता,न्याय,मानवता और संवैधानिक व्यवस्था के निर्माण के लिएराजनैतिक परिदृश्यको बदलने की चेतना को जगाएं ,ताकि आत्महीनता का भाव ध्वस्त हो और आत्मबलसे प्रेरितराजनैतिक नेतृत्वका निर्माण हो। 
थिएटर ऑफ़ रेलेवंस नाट्य दर्शन विगत 26 वर्षों से फासीवादी ताकतों से जूझ रहा है भूमंडलीकरण और फासीवादी ताकतेंस्वराज और समताके विचार को ध्वस्त कर समाज में विकार पैदा करती हैं जिससे पूरा समाजआत्महीनतासे ग्रसित होकर हिंसा से लैस हो जाता है. हिंसा मानवता को नष्ट करती है और मनुष्य मेंइंसानियतका भाव जगाती है कला. कला जो मनुष्य को मनुष्यता का बोध कराए...कला जो मनुष्य को इंसान बनाए! “थिएटर ऑफ़ रेलेवंस”... एक चौथाई सदी यानी 26 वर्षों से सतत सरकारी, गैर सरकारी, कॉर्पोरेटफंडिंग या किसी भी देशी विदेशी अनुदान से परे. सरकार के 300 से 1000 करोड़ के अनुमानित संस्कृति संवर्धन बजट के बरक्सदर्शकसहभागिता पर खड़ा है हमारा रंग आन्दोलन.. मुंबई से मणिपुर तक!
लेखकनिर्देशक : रंग चिन्तक मंजुल भारद्वाज रंग दर्शन थिएटर ऑफ रेलेवेंस' के सर्जक प्रयोगकर्त्ता हैं, जो राष्ट्रीय चुनौतियों को सिर्फ स्वीकार करते हैं, बल्कि अपने नाट्य सिद्धांत "थिएटर आफ रेलेवेंस" के माध्यम से वह राष्ट्रीय एजेंडा भी तय करते हैं। 28 से अधिक नाटकों का लेखननिर्देशन तथा अभिनेता के रूप में 16000 से ज्यादा बार राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं! 
दर्शक सहयोग और सहभागिता से आयोजित इस मंचन में आपके सक्रिय सहयोग और सहभागिता की अपेक्षा !
#नाटकराजगति #23जनवरी #शिवाजीनाट्यमंदिर #मंजुलभारद्वाज

No comments:

Post a Comment