Thursday, 30 April 2015

एक सूर्य ......


एक सूर्य उसके बहुत से रूप
सुबह आता है तो बहुत ही प्यारा दिखता
धीरे धीरे उसकी व्यापकता बढ़ जाती है
फिर दोपहर को हम उसे देख नहीं सकते
अपना रूप बदल देता है
शाम को धीरे धीरे वापस वह दिखाई देता है
हमारी आँखे उसे देख पाती है
आज बहुत ही प्रसन्न दिखने लगा
 पुरे दिन भर perform करके आया
हस्ते हस्ते सफेद होगया
धीरे धीरे लाल होने लगा
शांत था परमानंद की कसौटी पर दिखने लगा था
सोच लिया इसको आँखों में बिठाना है
इसको ऐसे ही मेरे अपने ब्रम्हांड में जलाये रखना है
उसको जाके पकड़ा और दिल में समा लिया
मेरी मुद्राए बदलने लगी आँखे स्थिर होगयी
और शांति से आजूबाजू देखने लगा
पंछी बाते करने लगे,
हवाएँ स्पर्श करने लगी,
चाँद पिछेसे देखने लगा ,
समुन्दर खिलने लगा,
एक सुकून भरी साँस लेकर मैं अपने कलात्मक साधना की और चलने लगा.....

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