ऐ मिट्टी तेरी खुशबु क्या है....
समता का विचार है....
या समता का व्यापार है.....
ऐ मिट्टी तेरा रंग क्या है.....
काला,गोरा ये बतादे अब....
ऐ मिट्टी तेरा झंडा कोनसा है....
तिरंगा या फिर लाल,केसरी,हरा या नीला....
ऐ मिट्टी तेरे विचार क्या है.....
समान या समानता ....
ऐ मिट्टी तेरा अपना कौन है....
मनुष्य या फिर हर राज्य में बैठे अपने ही ठेकेदार....
ऐ मिट्टी तू क्या चाहती है.....
शांति या फिर अशांती....
ऐ मिटटी तेरा गंध क्या है....
प्रेम ,चाहत,अपना पण या फिर वैमनस्य.....
ऐ मिटटी अब तुही बता अब मनुष्य कहा है तेरी गोद में...
जो सुने अपने निर्माण की अनसुनी आवाजे...
तुषार राजश्री तानाजी म्हस्के
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