25 वर्ष , जिसे हम कहते है .. एक चौथाई सदी ... इस 25 साल की, यात्रा को जीने वाला रंगकर्मी ..विश्व को बेहतर और सुंदर बनाने की प्रतिज्ञा लेकर... जीवन में रंगकर्म से विश्व को रचनात्मक दृष्टि देने के उद्देश से " थियेटर ऑफ़ रेलेवंस " नाट्य सिद्धांत का सूत्रपात करके ....रंगमंच को जीवन से जोड़ना .. साथ ही केवल मनोरंजन ही नाटक नहीं हो सकता... नाटक का उद्देश “ परिर्वतन " व्यक्ति के विचार में , अपने परिवार में , अपने समाज में , अपने गाँव में , अपने जिले में , अपने शहर में , अपने राज्य में, अपने देश में और अपने विश्व में....यह जुड़ाव व्यक्ति के विचारोंसे जुड़कर उसे व्यापक दृष्टिकोण देकर विश्व से जोड़ना... विश्व में सकारात्मक दृष्टि निर्माण होने के उद्देश से रंग- सिद्धांतकार मंजुल भारद्वाज 12 अगस्त, 1992 से समाज के अलग- अलग स्तर पर काम कर रहे है !
इस 25 साल की यात्रा में , रंगकर्म से समाज में परिवर्तन उन्होंने लाया ...संघर्ष यात्रा में जितना संघर्ष बढ़ता गया ...उतना ही उनको , वह संघर्ष उनके बदलाव की, प्रक्रिया की और ले गया ...विपरीत परिस्थिति और हालात से गुजरकर उन्होंने तत्व को निर्माण किया “ थियेटर ऑफ़ रेलेवंस " नाट्य सिद्धांत जहाँ रंगकर्म ध्येय के साथ किया जाता है ! “ मकसद ही धन ” यह सूत्र लेकर जब वह समाज में नाट्य सिद्धांत के साथ गये ...तब, उन्होंने नाटक के विचार की प्रतिबद्धता से समाज में परिवर्तन लाया...बात है, उस समय की , जब बाबरी मस्जिद का ढांचा गिरा दिया गया था ! तब देश में दंगा उठे थे ...मुम्बई दंगे में जल रही थी .. मंजुल जी के विचार के प्रतिबद्धता ने उस समय दंगों में जाकर रंगकर्म किया .. मानवता , संवेदनाओंको जागृत किया .. नाटक के दृश्य विचार के रूप में इस तरह लोगों के मन को भा गये .. वहाँ पर संवेदनाएँ जी उठी .. हाथ से हथियार गिर गए... एक दूसरे के प्रति प्रेम का निर्माण कर पाएं ...इस तरह के बदलाव के माध्यम से " थियेटर ऑफ रेलेवन्स " की शुरुवात ने परिवर्तन का बीज बोया ..वह बीज आज 25 साल का वृक्ष बनकर खड़ा है ! " थियेटर ऑफ रेलेवन्स " नाट्य सिद्धान्त ने परिवर्तन का सूत्र लेकर समाज के विभिन्न स्तर पर काम किया ... बच्चोंको को शिक्षा लेने के प्रति आदर करना, स्त्री - पुरुष एक दूसरे का सन्मान करना , लिंग भेद को नष्ट करना समाज के विकृतियों को नष्ट करना उसके लिए नए विचार का निर्माण , महिला के प्रति सन्मान का भाव निर्माण हो उसके लिए कार्य करना ... बाल मज़दूरों को शिक्षा की और ले जाना ... धर्म - जात के मानसिकता को निकालना और मनुष्य को मनुष्य के नजरिये से देखना ... रंगकर्म को जीवित रखने के लिए रंगकर्मियों को सक्षम करना ... बात यहाँ पर रुकती नहीं है ... देश और विदेश में जाकर "थियेटर ऑफ रेलेवन्स " के तत्वों से विदेश में " हमारे देश के विचारों के बीज को बोना " और सक्षम भारत का अध्याय लिखना ...राजनीति को नई दृष्टि से देखने के लिए राजनीति की पवित्र व्याख्या निकालना जहाँ से राजनीति के उद्देश्य के बारे में जनता को राजनीति के प्रति सन्मान होना...
व्यक्तित्व विचारोंसे बनता है .. रंग- सिद्धान्तकार मंजुल भारद्वाज जी का व्यक्तित्व एक संस्थान के रूप में कार्य करता है...
कुरुक्षेत्र में होने जा रहे हरियाणा सृजन उत्सव में 23-24-25 को " रंग- सिद्धान्तकार मंजुल भारद्वाज " जी , 24 फरवरी, 2018 को सुबह 11:30 से 12:00 बजे , संवाद 25 साल की रंग - सृजन के अनुभव , पर संवाद करेंगे...देस हरियाणा द्वारा आयोजित हरियाणा सृजन उत्सव - 2 में , राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कुरुक्षेत्र के सभागार में (कुरुक्षेत्र विवि के गेट नं. 2 के साथ)...रू-ब-रू होंगे रंग....
रंगकर्मी
तुषार म्हस्के
तुषार म्हस्के
व्यक्तित्व विचारोंसे बनता है .. रंग- सिद्धान्तकार मंजुल भारद्वाज जी का व्यक्तित्व एक संस्थान के रूप में कार्य करता है...
ReplyDeleteविश्व में सकारात्मक दृष्टि निर्माण होने के उद्देश से रंग- सिद्धांतकार मंजुल भारद्वाज 12 अगस्त, 1992 से समाज के अलग- अलग स्तर पर काम कर रहे है !
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