Tuesday 11 August 2015

गुलाब की खुशबु...

खुशबु इसकी दिल में समां जाती है...
बहुत रूप है इस के ...
इतिहास से जोड़कर इसकी खुशबु अत्तर सी महकती है...
इसका रूप ताजगी देता है...
प्रेम का पर्याय बनकर दिलों में खिलता है...
फूलोंका राजा बनकर खुली सांस का निर्माण करता है...
आयुर्वेदा में इसका बहुत महत्व है...
इसका जल आँखों को ठंण्डक देता है...
समाज के कांटो में यह खिल जाता है...
उसी समाज को सुगंधित कर देता है...
साहित्य में इसका विशेष महत्व है...
कवी की कल्पना में तरंगित हो जाता है...
विश्व में विविधता का प्रतिक हो जाता है...
कभी बचपन की यादें बिखेरता है...
तो बुढ़ापे में यादों का मंजर हो जाता है...
गुलाब की खुशबु शरीर में प्रेम का निर्माण कर जाती है....

~ तुषार म्हस्के

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