Thursday 30 April 2015

कुदरत के करिश्मे

                                                                                                   Click by Manjul Bhardwaj


कुदरत के करिश्मे 
उसके आकार 
उसके दृश्य
उसका चैतन्य
उसका दृष्टिकोण 
उसके प्रवाह 
उसकी एक फ्रेम बनी 
बादल हवा मैं तैर रहे है 
सूरज चुपके से देख रहा है
पहाड़ आपनी शान में खड़े है
वहीँ पहाडोने हरे कपडे पहने है
पंछी बाते कर रहे है 
सॄजना का माहोल बना है 
सब में प्रसन्नता छायी हुई है
सब perform कर रहे है अपने व्यवहार में
ले रहे है सांस जीवन के जीने में
जिंदगी में उन्मकुत होने की
सुन रहे है एक दूसरे को
समज रहे है अपने को 
सुनके सुनना और जीवन में उसे respons करना 
यही तो है सुनी आवाजें 
जिसको हमने अनसुना किया था ....unheard....

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